मेरी आवाज़!
मेरी आवाज़ ही मेरी एक पहचान है।
मेरी आवाज़ जब उठी है तो दबने नहीं दूंगा।
यदि दबी तो मरने नहीं दूंगा।।
इसी के अन्तर्गत अपनी आदत अनुसार मै हमेशा स्वतंत्र और प्रखर स्वभाव का रहा हूं। कभी भी किसी हालत से समझोता नहीं किया जो विपरीत अवस्था मै हो जैसे:
अनन्या
दवंगाई
गुंडागर्दी
असमानता
भ्रष्ट्राचार
कुशासन
चाहकर भी अपने आप को रोक नहीं पाता जिसका मैने कईवार खामियाजा भी भुगता। फिर भी अदत्नुसर आवाज़ उटाथा रहा हूं।
फिर सोचा क्यों ना यूट्यूब के द्वारा अपनी वाणी को प्रखर किया जाए और जन मानस तक अपनी आवाज़ पहुंचाई जाए।
मै हमेशा ही गरीबों, कमजारो, अनाथों का का समर्थक रहा हूं, उन लोगो का सोषण, लाचारी काफी करीबी से देखी है कि केसे लोग उन लोगो का सोशन कर अपनी कमाई करते है उनकी आवाज़ चोखट के बाहर तक नहीं आ पाती। जिसका फायदा राजनेताओं, व्यापारिक बर्गो, और समाज के बहुत लोगो ने तादयाद मै कमाया।
लेकिन अब समय आ गया है कि अब हम सभी निस्पक्छ होकर सामूहिक स्तर पर आवाज़ उठाकर ऐसे लोगो के खिलाफ आवाज़ उठाएं जिन्होंने समाज मै रहकर भेड़िया रुपी चेहरे का इस्तमाल किया है। आइए ऐसे चेहरों को बेनकाब करे।
मेरी आवाज़ अब उठी है तो दबेगी नहीं और दबाने की कोशिश करी तो कभी मरेगी नहीं।
आइए आप भी मेरी आवाज़ बन समाज का एक सशक्त हिस्सा बने।
यदि आम जीवन में देखा जाए तो जन मानस चाहते हुए भी अपनी आवाज़ को बुलंद नहीं कर सकता, जीने को विवश है जिसे कहा जायगा मजबूरी का नाम महात्मा गांधी.इन्हीं सब कारणों से मेरे मन की व्याकुलता दिन प्रतिदिन बड़ने लगी. जब भी मौका मिला मैने हमेशा अपनी आवाज़ को बुलंद किया फिर चाहे वो नौकरी हो या समाज.आज हम लोग इतने स्वार्थी, संवेदनहीन हो गए है कि लोग अपने और अपने परिवार के अलावा किसी और का सुख और दुख समझते ही नहीं.इन्हीं कारणों से विवश होकर मैने जिंदगी मै कई बार धोका खाया पर सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ा!और ना ही सत्य के मार्ग से कभी भी विचलित होऊंगा ऐसा मेरा द्रंड संकल्प है lमेरे आदर्श मेरे स्वर्गीय पिता श्री हरिशंकर श्री वास्तव, विवेकानंद जी, सुभाष चंद बोस, भगत सिंह रहे हैं.
दूसरी तरफ मै महात्मा गांधी से भी काफी प्रभावित हूं !
मेरी आवाज़: जी के श्री वास्तव